Gunjan Kamal

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यादों के झरोखे से " सरस्वती पूजा "

दोस्तो ! आज यादों के झरोखे से कोरोना काल के उस दिन को लेकर आई हूॅं जिसे देखकर और उस पल को जीकर मन को बेहद ही  सुकून और खुशी मिली थी। हम सभी जानते हैं कि सरस्वती पूजा के  दिन मां सरस्वती की पूजा बहुत ही भक्ति भाव से हर घर में की जाती है ।  शिक्षण संस्थाओं में  भी यह पूजा की जाती है  साथ ही  घरों में भी यह पूजा विद्यार्थियों और उनके परिवारों द्वारा संपन्न की जाती है । अभी के समय में बहुत घरों में  सरस्वती माता की मूर्ति लाकर पूजा की जाती है लेकिन जो माता की मूर्ति लाने में सक्षम नहीं है वह  भी अपने घरों में माता की तस्वीर के सामने बैठकर मां सरस्वती की पूजा आराधना भक्ति भाव से करते हैं ।


दोस्तों ! कोरोना काल में जब  स्कूल बंद थे तो मैंने और बच्चों ने मिलकर   घर में ही माता की तस्वीर के सामने बैठकर पूजा की थी। ठंड के कारण मेरे दोनों बच्चे  जो रोज नहाने में कोताही बरतते थे उस दिन मेरे कहे बगैर ही दोनों नहा - धोकर तैयार हो गए थे । विधिवत पूजा करने उन्हें नहीं आती इसीलिए वह दोनों मेरा इंतजार कर रहे थे ।  जब मैं अपना रोज का काम जल्द से जल्द खत्म करके आई तब हम तीनों ने  मां सरस्वती की विधिवत पूजा शुरू की थी। उस दिन हमारे यहां माता को गुलाल चढ़ाया जाता है और पुआ ,  खीर और पूरी भी माता के भोग के रूप में उन्हें अर्पण किया जाता है । यह बनाने में मुझे समय लग गया तब तक दोनों वहीं बैठे रहे । जब मैं आई  तब हम तीनों ने मिलकर पूजा की । उस  दिन हमारे यहां माता को  गुलाल चढ़ाने के  अलावा बच्चों की किताबें भी माता के सामने रखी जाती है । मैंने भी दोनों बच्चों की किताबें माता के सामने रख दी और अपने बेटे और बेटी के उज्जवल भविष्य की कामना मां सरस्वती से की । उनसे प्रार्थना की कि  इन्हें विद्या दें , सद्बुद्धि दें  और इन दोनों पर अपनी  कृपा दृष्टि बनाए रखें ।


दोस्तों ! अपने साथ  उस  सरस्वती पूजा के दिन अपने बच्चों को पूजा  करते हुए देख कर बहुत खुशी हुई थी। बहुत बच्चों  के मुख से आजकल सुनती  हूॅं  कि पूजा - पाठ में उनका मन ही नहीं लगता है । उनका यहां तक कहना होता है कि  जिन्हें हमने देखा नहीं उनकी पूजा हम क्यों करें ?  ऐसी सोच रखने वालों के लिए क्या कहा जा सकता है ? यह तो अपनी-अपनी आस्था ही है कि हमने भगवान को नहीं देखा फिर भी उन पर विश्वास कर उनके होने उनके अस्तित्व पर विश्वास कर हम उन्हें  पूजते हैं । आस्था ही तो है जो हम उन्हें हर सुख - दुख में अपने करीब पाते हैं । हर सुख - दुख में उन्हें याद करते हैं । एक सुकून मिलता है पूजा घर में जाकर बैठने से ।  मेरा मन तो जब भी दुखी होता है मैं पूजा घर में जाकर बैठ जाती हूॅं और यकीन करो जब मैं वहां से निकलती हूॅं  मेरा मन एकदम शांत हो चुका होता है ।


दोस्तों ! उस दिन सरस्वती माता की बच्चों के साथ  पूजा करके बहुत ही आनंद आया था।  पूजा के कारण तस्वीरें तो नहीं ले पाई थी लेकिन वें क्षण मेरी यादों के झरोखे में आकर हमेशा के लिए कैद हो चुकी है  ।  उस सरस्वती पूजा पतिदेव जी  भी नहीं थे कि उन्हें  कहती कि एक तस्वीर ले ले आप हम तीनों की । वें ऑफिस में थे इस कारण तस्वीरें मैं नहीं ले पाई ।  चलो कोई नहीं ! तस्वीरों के माध्यम से  ना सही यादों में तो  यह मेरी स्मृतियां बनकर कैद हो ही  गई थी। अब यदि आप सब की  इजाजत हो तो अब चलती हूॅं  लेकिन जाने से पहले यह  जरूर कहूंगी 👇 ‌

" सरस्वती माता का साथ हो
उनका      आशीर्वाद      हो
हमारे    बच्चों     पर   उनकी
कृपा  दृष्टि  ऐसे   ही  बनी  रहे ।"


🤗🤗 आप सब भी अपना ख्याल रखना खुश रहना और सबसे महत्वपूर्ण बात हमेशा हंसते - मुस्कुरात रहना 🤗🤗

गुॅंजन कमल 💗💞💓


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8 Comments

Mahendra Bhatt

11-Dec-2022 09:39 AM

बहुत ही सुन्दर भाव

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Pranali shrivastava

10-Dec-2022 07:51 PM

बहुत ही सुन्दर

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Muskan khan

09-Dec-2022 06:32 PM

Amazing

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